मिलते जुलते रहा करो !
धार वक़्त की बड़ी प्रबल है,
इसमें लय से बहा करो,
जीवन कितना क्षणभंगुर है,
मिलते जुलते रहा करो।
यादों की भरपूर पोटली,
क्षणभर में न बिखर जाए,
दोस्तों की अनकही कहानी,
तुम भी थोड़ी कहा करो।
क्षणभर में न बिखर जाए,
दोस्तों की अनकही कहानी,
तुम भी थोड़ी कहा करो।
हँसते चेहरों के पीछे भी,
दर्द भरा हो सकता है,
यही सोच मन में रखकर के,
हाथ दोस्त का गहा करो।
दर्द भरा हो सकता है,
यही सोच मन में रखकर के,
हाथ दोस्त का गहा करो।
सबके अपने-अपने दुःख हैं,
अपनी-अपनी पीड़ा है,
यारों के संग थोड़े से दुःख,
मिलजुल कर के सहा करो।
अपनी-अपनी पीड़ा है,
यारों के संग थोड़े से दुःख,
मिलजुल कर के सहा करो।
किसका साथ कहाँ तक होगा,
कौन भला कह सकता है,
मिलने के कुछ नए बहाने,
रचते-बुनते रहा करो।
कौन भला कह सकता है,
मिलने के कुछ नए बहाने,
रचते-बुनते रहा करो।
मिलने जुलने से कुछ यादें,
फिर ताज़ा हो उठती हैं,
इसीलिए यारों नाहक भी,
मिलते जुलते रहा करो।
फिर ताज़ा हो उठती हैं,
इसीलिए यारों नाहक भी,
मिलते जुलते रहा करो।
अपनों को समर्पित
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