हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता !
हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,
_"रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर;_
_और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये;_
_और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये;_
_जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे;_
_फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।_
_फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।_
_ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,,_
_वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!_
_वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!_
_ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला,_
_ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया. और मर. गए तो डूबने. न. दिया . ._
_ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया. और मर. गए तो डूबने. न. दिया . ._
_क्या. बात करे इस दुनिया. की_
_"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे"_
_"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे"_
_जो सामने. हे. उसे लोग. बुरा कहते. हे,_
_जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है. .
_जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है. .
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