ज़िंदगी का सबसे दुःखद सत्य क्या है? 2





जीवन का सबसे दुखद सत्य है कि हमारे सारे संबंध स्वार्थ पर टिके हैं।
मैं ,आदर्शवादी ऐसी बातें नहीं करती जो जीवन में हो ही ना, जैसे किसी संबंध का बिना स्वार्थ पर टिके होना।
मैं यह नहीं कहती कि सारे स्वार्थ खराब ही होते हैं या सारे रिश्ते जो स्वार्थ पर टिके हैं वह अर्थहीन हैं,कुछ स्वार्थ आवश्यक हैं उनसे तो कोई समस्या नहीं है परंतु कुछ स्वार्थ ऐसे हैं जिनसे रिश्ते कमजोर होते हैं।

आवश्यक स्वार्थ वह हैं, जैसे -एक दूसरे का प्रेम हमेशा के लिए पाना ,एक दूसरे का साथ बना रहना। ये भी एक प्रकार के स्वार्थ ही तो हैं।
पर जो स्वार्थ रिश्तों की नींव को खराब कर देते हैं अर्थात वे रिश्ते जो केवल व्यक्तिगत स्वार्थ पर ही निर्भर होते हैं ,बहुत कष्ट देते हैं।
दुखद सत्य तो यह है कि जब ये स्वार्थ खत्म ,तब हमारे रिश्ते भी लगभग खत्म ही हो जाते हैं।

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