आज का विचार - विचारों में शुद्धता !
हलवे की कटोरी में काजू, बादाम, सूजी ये सब तो दिखाई देते हैं पर जिस चीज से उसमें मिठास है वह "शक्कर" नजर नहीं आती...
ठीक ऐसे ही
हमारे जीवन में भी कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दिखाई नहीं देते अर्थात उनसे मुलाकात नहीं हो पाती पर उनके अपनेपन की "मिठास" हमारे जीवन को हमेशा आनंदित करती रहती है...
हमारे जीवन में भी कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दिखाई नहीं देते अर्थात उनसे मुलाकात नहीं हो पाती पर उनके अपनेपन की "मिठास" हमारे जीवन को हमेशा आनंदित करती रहती है...
【●●★●●】
एक गलती आपका अनुभव, बढ़ा देती है और
अनुभव, आपकी गलतियां कम कर देता है
ज़िन्दगी में अगर कोई सबसे सही रास्ता
दिखाने वाला दोस्त है तो वो है - अनुभव
अनुभव, आपकी गलतियां कम कर देता है
ज़िन्दगी में अगर कोई सबसे सही रास्ता
दिखाने वाला दोस्त है तो वो है - अनुभव
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संबंध कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते...
संबंधों की खुशहाली के लिए
झुकना होता है,
सहना होता है,
दूसरों को जीताना होता है
और
स्वयं हारना होता है।
संबंधों की खुशहाली के लिए
झुकना होता है,
सहना होता है,
दूसरों को जीताना होता है
और
स्वयं हारना होता है।
सच्चे सम्बन्ध ही वास्तविक पूँजी है ।।।
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मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत...
सिर्फ बनाने वाले को पता होती है,
तोड़ने वाले को नहीं...!!
सिर्फ बनाने वाले को पता होती है,
तोड़ने वाले को नहीं...!!
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तालाब सदा कुँऐ से सैंकड़ों गुना बड़ा होता है फिर भी लोग कुँऐ का ही पानी पीते हैं.,
क्योंकि कुँऐ में गहराई और शुद्धता होती है...!
उसी तरह......
मनुष्य का बड़ा होना अच्छी बात है.,
लेकिन उसके व्यक्तित्व में गहराई और
विचारों में शुद्धता भी होनी चाहिए
क्योंकि कुँऐ में गहराई और शुद्धता होती है...!
उसी तरह......
मनुष्य का बड़ा होना अच्छी बात है.,
लेकिन उसके व्यक्तित्व में गहराई और
विचारों में शुद्धता भी होनी चाहिए
तभी वह महान बनता है...!!
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कृष्ण ने बहुत अच्छी बात कही है
ना हार चाहिए, ना जीत चाहिए
जीवन मे अच्छी सफलता के लिए
परिवार और कुछ मित्र का साथ चाहिऐ ।
ना हार चाहिए, ना जीत चाहिए
जीवन मे अच्छी सफलता के लिए
परिवार और कुछ मित्र का साथ चाहिऐ ।
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दिखावा” और “झूठ” बोलकर व्यवहार बनाने से अच्छा है,
“सच” बोलकर “दुश्मन” बना लो, आपके साथ कभी “विश्वासघात”नही होगा.!
“सच” बोलकर “दुश्मन” बना लो, आपके साथ कभी “विश्वासघात”नही होगा.!
【●●★●●】
"क्रोध" भी तब पुण्य बन जाता है जब वह "धर्म" और "मर्यादा" के लिए किया जाए।
और
"सहनशीलता" भी तब पाप बन जाती है जब वह "धर्म" और "मर्यादा" को बचा ना पाये"
और
"सहनशीलता" भी तब पाप बन जाती है जब वह "धर्म" और "मर्यादा" को बचा ना पाये"
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