गांधी एक कट्टर मुसलमान और राष्ट्रद्रोही !


मुसलमान विपरीत हालात में झूठ बोल सकते है । कुरान सुरा 16 : आयात 106
कुरान में ऐसी बहुत सी आयत है, जिनके आधार पर इस्लाम को फैलाने के लिए झूठ बोलने की अनुमति है, इसे " तकिया " कहा जाता है ! जैसे हिन्दू नाम रखकर, इस्लाम का प्रचार करना, कुरान की झूठी कसमें खा लेना , हिन्दुओ को धोखा देना ! इस अल-तकिया कंपनी के ब्रांड एम्बेसडर महात्मा गांधी है, ओर उस कंपनी के प्रमुख कार्यकर्ता अभी बॉलीवुड है । चाहे वह संजय लीला भंसाली हो, राजकुमार हीरानी हो , या महेश भट्ट हो !  खैर गांधी हिन्दू नाम रखकर हिन्दुओ के साथ अल-तकिया ही कर रहा था, इसके कुछ साक्ष्य गांधी की आत्मकथा के माध्यम से आपके सामने रखता हूँ , जिससे आगे के लेख को समझने में आपको भी आसानी हो !!
यह गांधी पुस्तक के कुछ अंश, जो गांधी की हत्या के बाद 1949 में प्रकाशित हुई थी ।
मेने कुरान एक से अधिक बार पढ़ी है, ओैर कुरान और पैगम्बर को भी बहुत बार पढ़ा है । ( पुस्तक गांधी , पेज - 235 , सन - 1949)
इस्लाम ने कभी भी अन्य धर्मों की पूजा के स्थानों को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी। (गांधी, 1 9 4 9, पेज 139)
इस्लाम प्रत्येक धर्मो का सम्मान करता है । ( गांधी - पेज 94 सन 1949 )
मुसलमान बहुत बहादुर, उदार और भरोसेमंद थे ( गांधी, पेज 134 , सन 1949 )
कुरान कभी भी हत्या को मंजूरी नही देता है । ( गांधी , पेज - 149 - सन 1949 )
मुसलमानो ने कभी भी हिन्दू मंदिरो को नही तौड़ा ( गांधी - पेज 71 - सन 1949 )
मैं खुद हिन्दू हूँ, किन्तु अपने आप को मुसलमान के रूप में पाता हूँ ( गांधी - पेज 538 सन - 1949 )
हिन्दू ओर मुसलमानो को अंतरजातीय विवाह करना चाहिए ( गांधी - पेज 542 सन 1949 )
इन सब के अलावा भी गांधी ने अनेक बार महाराणा प्रताप , शिवाजी , गुरु गोविंद सिंह की  ही नही, आलोचना की सीमा पार करते हुए, उस नीच कपटी ने भगवान राम से ज़्यादा महान अबु - बकर को बताया था, यह अबु - बकर वही है, जिसने सत्ता की लालसा के लिए अपनी 6 साल की बेटी आयेशा को मुहम्मद को नोच खाने के लिए सौंप दिया था, इस अबु - बकर को सड़क पर घसीट कर मारा गया था ।
पर्याप्त है इतना समझने के लिए, यह महात्मा नही, मोहम्मद गांधी था । जो हिन्दू नाम रखकर हिन्दुओ को ही धोखा दे रहा था । इस नीच के कारण सुभाष चंद्र बोस के स्थान पर नेहरू को तरहीज दी गयी !
               #गांधी_का_चरित्र
गांधी के जीवन काल मे  भीमराव अंबेडकर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपतराय, शहीद भगतसिंहः इन सभी ने गांधी की आलोचना की थी । किन्तु गांधी की मौत के बाद इसे पूजनीय देवता के रूप में शामिल कर लिया । कम्युनिस्ट जो कि गांधी को पूंजीपतियों के प्रतिनिधि कहा करते थे, लेकिन वोट बैंक के लालच ने उनका भी मुख पैक कर दिया है । सच्चाई यही है कि गांधी एक बहुत बड़ा पाखण्डी, ढोंगी, पूंजीपति ओर मुसलमानो का संरक्षक, मजदूरों , दलितों और हिन्दुओ का दुश्मन, देशभक्तों का शत्रु ओर समाजवाद का कट्टर विरोधी था ।
हिन्दू धर्म उपदेशक सारा सन्त समुदाय हमे काम से बचने के लिए इंद्रियों के दमन की बात करते है, गांधी स्वम्  दुनिया के सामने सनातनी हिन्दू ही कहता था, ओर इसी सनातनी परम्परा के आधार पर उसने सनातनी ब्रह्मचर्य को अपनाया, लेकिन इस ब्रह्मचर्य के ढोंग की आड़ में उसने ऐसे ऐसे काले कर्म किये, की उसका ओर उसके समर्थकों का मुँह काला हो जाएगा, आज का राम- रहीम ओर उस समय का गांधी एक ही था ।
कबीर दास जी जैसे महान सन्तो ने कहा है ।
"नारी की झाई पड़त, अंधा होत भुजंग
कह कबीर तिन की गति,जो नित नारी नारीसंग"
बाबा कबीर कहते है - नारी की छाया पड़ने से तो सांप भी अंधा हो जाता है, उस व्यक्ति की क्या गति होगी, जो हर समय नारी के संग रहता है ।
लेकिन ब्रह्मचर्य की आड़ में गांधी ने केवल स्त्रियों के साथ एकांत में रहता था, बल्कि नंगा होकर यह उनसे एकदम निवस्त्र होकर तेल मालिश भी करवाता था । इस नीच का कहना था, जिस व्यक्ति का लिंग खड़ा नही होता, लेकिन स्त्री देखते ही वीर्य स्खलित हो जाता है, वह भी ब्रह्मचारी ही है । ( गांधी और उसके भक्त - पेज 182 )
आगे यह दुस्ट ब्रह्मचर्य की नई ही परिभाषा तय करते हुए, कहता है,  " मेरे ब्रह्मचर्य का अर्थ इस प्रकार है, ऐसा व्यक्ति जो भगवान में ध्यान लगाकर इस योग्य हो जाता है, की वह निःवस्त्र नारियों के साथ रह ले, चाहे वह कितनी भी सुंदर क्यो ना हो, उसके साथ सोकर भी उसमे किसी तरह की उतेजना उतपन्न क्यो ना हो, वही ब्रह्मचारी है । इस परिभाषा में यह कपटी अपना उल्लू सीधा कर रहा है । खुद नंगी महिलाओ के साथ नंगा सोता था, इस लिए इसने ब्रह्मचर्य की ही नई परिभाषा तैयार कर ली ! जबकि हिन्दू ग्रँथ कहते है --
माता स्वस्त्रा दुहित्रा वा न विविक्तासनो भवतः
बलवानीन्द्रीयग्रामोः विद्वानसम्पिकर्षमी:
( मनुस्मृति अध्याय 2 , श्लोक 215  )
इसका अर्थ है, माता, बहनो, ओर पुत्री के साथ कभी एकांत में ना रहे, क्यो की इंद्रियां बड़े से बड़े विद्धवान को भी अपने बस में कर लेती है ।
गांधी चुपचाप किसी को खबर किये बिना अपने साथ स्त्रियों को सुलाया करता था । किन्तु नवखली के दौरे में इसके निजी सचिव ने इसको रंगरलिया बनाते देख लिया था । ओर पूरी दुनिया के सामने इसकी शैतानियत का भंडाफोड़ किया था ! सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इस नंगे नाच को रोकने के लिए गांधी का सार्वजनिक विरोध भी किया तब गांधी ने बड़ी निर्लज्जता के साथ दुनिया के सामने अपना पक्ष रखा !
" चाहे सारा संसार मुझे त्याग दे , किन्तु में अपने इस काम का त्याग नही कर सकता , जो मेरे लिए एक सच्चाई है, हो सकता है कि ब्रह्मचर्य का प्रयोग मेरे लिए एक भृमजाल हो , यदि ऐसा है भी, तो मैं यह साधना अवश्य करूँगा !! "
गांधी ने अपने कृत्यों के माध्यम से असिष्ठता को भी इतना कोमल बना दिया, की देशवाशियों के आंखों में धूल पड़ी ही रही ! 
दरअसल मुहम्मद को पढ़ते पढ़ते, यह खुद मुहम्मद बन चुका था, जो उसी की तरह अपना हरम चला रहा था ।

        #राष्ट्रद्रोही_हिन्दू_विरोधी_गांधी

12 दिसम्बर 1945 को जिन्ना ने डॉन अखबार को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा था, की विभाजन के समय जो लोग स्वेच्छा से स्थानांतरण करना चाहते है, वह कर सकते है । नीच मुसलमान जिन्ना इस माध्यम से लोकमत को टटोलना चाहता था, सिंध, पंजाब , मुल्तान, आदि प्रान्त के हिन्दू विभाजन के लिए तैयार नही थे । और ना ही पाकिस्तान के मुसलमानो को भारत से अलग होने की कोई आग लगी थी । वर्षो का व्यवसाय छोड़ हिन्दू कैसे अपनी जगह छोड़ सकते थे ?
लेकिन भारत के मुसलमानो ने पाकिस्तान के मुसलमानो को सिखाया की हिन्दुओ के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, जहां बिहार और उत्तरप्रदेश के हिन्दू " हाथ माब लौटा, मुँह माब पान, लेकर रहेंगे पाकिस्तान " के नारे लगा रहे थे , वहीं कलकत्ता के मुसलमानो ने लालबाजार इलाके में हिन्दुओ को गाजर मूली की तरह काटा, तीन हजार लाशें तो लालबाजार की सड़कों पर थी, जिसे कुत्ते खा रहे थे । कितनी महिलाओ का बलात्कर हुआ, इसका तो कोई हिसाब ही नही है । इसी घटना के बाद पाकिस्तान में भी हिन्दुओ का भयँकर नरसंहार हुआ ! पंजाब और सिंध के हिन्दुओ को खुन से नहला दिया गया । अपनी प्राणरक्षा ओर मुसलमानो के छलबल के कारण कई हिन्दुओ को मुसलमान बनना पड़ा, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए असंख्य सिख ओर हिन्दू महिलाओ को जोहर की अग्नि में प्रवेश करना पड़ा, यहां तक कि सिख- हिन्दू महिलाओ को नग्न कर लाहौर की सड़कों पर घुमाया गया । गाड़िया भर भर कर हिन्दू पाकिस्तान से भारत आने लगे, उनके आने की घटना तो दिल दहला देने वाली है, रेल के डिब्बों में सांस लेने तक कि जगह नही थी । डिब्बो के ऊपर बैठ कर लोग आते थे । स्टेशनों पर पानी ने नल तोड़ दिए गए, बच्चे थे, वह छटपटा कर मर गए, माता पिता ने अपने बच्चो को पानी के स्थान पर अपना मूत्र पिलाया, लेकिन वह भी उनके पास होता तो ? ट्रेनों को रोक रोक कर जवान स्त्रियों , युवतियों को भगाया जाता, पाकिस्तान से आने वाली लगभग प्रत्येक  हिन्दू महिलाओ का बलात्कार हुआ ।
मुसलमानो के इतने भयँकर अत्याचारो के बाद भारत सरकार ने निर्णय किया कि वह कोई मदद पाकिस्तान की नही करेंगे ! लेकिन इसके विरोध में गांधी अनशन पर बैठ गया । उसके अनशन के कारण भारत को झुकना पड़ा, ओर हिन्दुओ पर अत्याचारो का इनाम पाकिस्तानियों को 55 करोड़ रुपया देकर चुकाया गया । पाकिस्तान को 55 करोड़ देने के बाद प्रत्येक भारतीय गांधी से घृणा करने लगा ।
यह तो मामूली सा कृत्य था । गांधी ने तो इससे पहले भी हिन्दुओ का खुन बहाने वाले मुसलमानों की सहायता में कोई कसर नही छोड़ी थी ।

#खिलाफत_आंदोलन - जहां भारत के हिन्दू अंग्रेजो को भारत से भगाने, भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करवाने के लिए आंदोलन कर रहे थे , वहीं दूसरी ओर गद्दार मुसलमान तुर्की के खलीफा के पद को बहाल करने के लिए भारत मे यहां अंग्रेजी शाशन के विरुद्ध आंदोलन कर रहे थे । इसमे भारत की आजादी से कोई मतलब नही था, इस आंदोलन को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए हिन्दुओ का कत्लेआम भी जरूरी था । मुसलमानो का साथ इस आंदोलन में इस धूर्त गांधी ने दिया ! गांधी भी खलीफा के पद को बचाने के लिए मुसलमानो के साथ मिलकर आंदोलन कर रहा था  ।।
कांग्रेस में लार्ड माउंटबेटन को भारत का सबसे महान् वायसराय और गवर्नरजनरल बताया जाता है। सत्ता के हस्तांतरण की
आधिकारिक तिथि 30 जून 1948 तय की गयी थी, परन्तु माउंटबेटन ने अपनी निर्दयतापूर्ण चीरफाड़ के बाद हमें 10 महीने
पहले ही विभाजित भारत दे दिया। गाँधी को अपने तीस वर्षों की निर्विवाद तानाशाही के बाद यही प्राप्त हुआ और यही है जिसे
कांग्रेस ‘स्वतंत्रता’ और ‘सत्ता का शान्तिपूर्ण हस्तांतरण’ कहती है।
हिन्दू-मुस्लिम एकता का बुलबुला अन्ततः फूट गया और नेहरू तथा उनकी भीड़ की स्वीकृति के साथ ही एक
धर्माधारित राज्य बना दिया गया। इसी को वे ‘बलिदानों द्वारा जीती गयी स्वतंत्रता’ कहते हैं। किसका बलिदान?
जब कांगरेस के शीर्ष नेताओं ने गाँधी की सहमति से इस देश को काट डाला, जिसे हम पूजा की वस्तु मानते हैं,
तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया।
गाँधी ने अपने आमरण अनशन को तोड़ने के लिए जो शर्तें रखी थीं, उनमें एक दिल्ली में हिन्दू शरणार्थियों द्वारा घेरी गयी
मस्जिदों को खाली करने से सम्बंधित थी। परन्तु जब पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हिंसक आक्रमण किये गये, तब उन्होंने उसके
विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला और पाकिस्तान सरकार अथवा सम्बंधित मुसलमानों को इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
गाँधी इतने चतुर तो थे ही कि वे जानते थे कि यदि उन्होंने अपना आमरण अनशन तोड़ने के लिए पाकिस्तान मुसलमानों पर
कोई शर्त रखी, तो उनको शायद ही कोई मुसलमान ऐसा मिलेगा जो उनकी जिन्दगी की जरा भी चिन्ता करेगा, भले ही 
आमरण अनशन में उनके प्राण चले जायें।
इसी कारण उन्होंने अनशन तोड़ने के लिए जानबूझकर मुस्लिमों पर कोई शर्त नहीं लगायी। वे अपने अनुभव से अच्छी तरह
जानते थे कि जिन्ना उनके अनशन से बिल्कुल भी विचलित या प्रभावित नहीं थे और मुस्लिम लीग गाँधी की आत्मा की
आवाज का कोई मूल्य नहीं समझती।
अन्य बहुत कारण है , जिसे एक लेख में लिखना संभव नही । बाकी गोडसे ने जो किया सही किया ।
गांधी को मारना पुण्य का ही काम था ।

✍ राम पुरोहित

नोट: हो सकता है आप इस लेख से सहमत हो या नही लेकिन हिंदी ब्लॉग डायरी इससे कोई इतेफाक नही रखती है।

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