पहली बार किसी कविता को पढ़कर आंसू आ गए !



दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर 

 मैं   "निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।  
 बुढापे का "सहारा,, हूँ   "अहसास" दिला न सका 
 पेट पर सुलाने वाली को   "मखमल,   पर सुला न सका ।  
 वो "भूखी, सो गई "बहू, के "डर, से एकबार मांगकर 
 मैं "सुकुन,, के "दो, निवाले उसे खिला न सका । 
 नजरें उन "बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका । 
 वो "दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।  
 जो हर "जीवनभर" "ममता, के रंग पहनाती रही मुझे 
 उसे "दिवाली  पर दो "जोड़ी, कपडे सिला न सका ।    
 "बिमार बिस्तर से उसे "शिफा, दिला न सका । 
 "खर्च के डर से उसे बड़े   अस्पताल, ले जा न सका ।  
 "माँ" के बेटा कहकर "दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ ,
 "दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका  । 
 माँ तो माँ होती हे भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसका "Duaa"   समझकर भूला देना चाहिए |✨,, ✨

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