हमारी मूर्खता की एक कहानी !!!
हमारी मूर्खता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि हम 15-20 साल पढ़ाई में खत्म करने के बाद एक पाँचवी फेल पंडित से सलाह लेते हैं कि हमको क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए ।
मतलब आप इंजीनियर वकील डॉक्टर बनकर भी इस लायक नहीं हुए कि अपना निर्णय खुद ले सको।आपमें इतनी क्षमता विकसित नहीं हुई जितनी एक पांचवी फेल पंडित में।आप पंद्रह बीस साल खर्च करके उच्चशिक्षा पाकर भी, किसी पंडित से पूछते हैं कि घर कब बनाना है। आप दिमाग से पैदल हैं जो अपने घर का निर्माण करने का निर्णय भी खुद नहीं कर सकते ? पूछा पंडित से घर कब बनेगा और जब घर बन गया गृह प्रवेश, तब भी शुरुआत करने वो पाँचवी फेल पंडित ही आएगा ।
बच्चा आपने पैदा कर लिया लेकिन उच्चशिक्षा ग्रहण करने के बाद भी आप इतना नहीं सीख पाए कि अपने बच्चों का नाम भी खुद रख पायें । बच्चा आपका है या पांचवी फेल पंडित का ?
अब बात शादी की आई तो ये भी तय आप नहीं कर सकते कि आप शादी कब करोगे ?आपको शादी कब करनी है ये भी एक पांचवी फेल पंडित बताएगा ।
आपको लड़की / लड़का पसंद है, आपके परिवार वालों को भी पसंद है लेकिन एक पांचवी फेल पंडित ने कह दिया कि इससे शादी करना अच्छा नहीं होगा तो आप पंद्रह बीस साल खर्च करके भी उस पांचवी फेल पंडित से तुच्छ ही साबित हुए ।
आपको लड़की / लड़का पसंद है, आपके परिवार वालों को भी पसंद है लेकिन एक पांचवी फेल पंडित ने कह दिया कि इससे शादी करना अच्छा नहीं होगा तो आप पंद्रह बीस साल खर्च करके भी उस पांचवी फेल पंडित से तुच्छ ही साबित हुए ।
आप जीवन भर पाँचवी फेल पंडित के आगे झुकते रहे लेकिन जब मरोगे तब भी ये ही पांचवी फेल पंडित तय करेगा कि आपको मरना कैसे है गीता सुनकर, रामायण सुनकर या सत्यनारायण की कथा सुनकर । अब इससे ज्यादा आपकी मूर्खता के प्रमाण और क्या दूं।
उदाहरण आपके सामने है..................?
उदाहरण आपके सामने है..................?
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