कलाकार इंसान का और मिट्टी का !!!
किसी ने मुझे यह विचार भेजा है विचार में अपना एक अलग ही आकर्षण है -
एक मिट्टी की मूर्ति बनाने वाला कलाकार ईश्वर से कहता है.....
"हे ईश्वर तु भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ,
"हे ईश्वर तु भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ,
तुने मुझ जैसे असंख्य बुत बनाकर इस धरती पर भेजे हैं और मैने
तेरे असंख्य बुत बना कर इस घरती पर बेचे हैं पर
ईश्वर उस समय बडी शर्म आती है, जब
तेरे बनाये हुए बुत मेरे बनाये हुए बुत के सामने शीश झुकाते है"....।
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