पिता का साया

एक पुत्र ने दो खूबसुरत पंक्तियां लिखी-

पिता की मौजदगी सूरज की तरह होती है,

सूरज गरम जरुर होता है पर अगर न हो तो अँधेरा छा जाता है।

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