कर्तव्य की तनख़्वाह

यदि आपका काम करते हुवे बिना कारण लाेग आलाेचना करते है या ग़लतफ़हमी पैदा करते है ताे यह समझ लीजिये -अंग्रेज़ी में एक कहावत है Wages Of Duty है यानि कर्तव्य की तनख़्वाह है।जब काेई कर्तव्य करते है ताे उसकी अच्छाई बुराई दाेनाे मिलती है। उसकाे मान लेना चाहिये कि यह उसी का उपहार है। देश के बड़े माैलिक चिंतक ठेगड़ीजी कहते है कि दरअसल आलाेचना आपके इर्षयालुओं का आपकाे बधाई देने का तरीक़ा है वास्तवं में ताे वे आपकी सराहना ही कर रहे है बस असंयम से गलत शब्दाें का चयन करते हैं।
पूज्य तनसिंहजी की मान्यता है कि किसी भी आलाेचना व विराेध पर स्पष्टीकरण आपके कमजाेर आत्मबल का परीचायक है क्यूँकि मित्राें काे स्पष्टीकरण की ज़रूरत नहीं है व ईर्षयालुओं व शत्रुओं काे भी नहीं है एक ओर श्रेणी जाे कमअक्ल हाेते हैं उनकाे भी नहीं है ।
बालकाण्ड में तुलसीदासजी मानस के प्रारम्भ में ही लिखते है-बहुरी बंदी खल गन सतिभाएं। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ । बचन बज्र जेहि सदा पिआरा,सहस नयन पर दाेष निहारा।। अर्थ-सच्चे भाव से दुष्टाें काे प्रणाम जाे बिना ही प्रयाेजन अपना हित करने वालाें के भी प्रतिकूल आचरण करते है ओर जाे हज़ार आंखाें से दूसराें के दाेषाें काे देखते हैं।।
इसलिये उन सभी आलाेचक मित्राें का सदैव स्वागत है जाे हमारी आलाेचना के लिये तैयार रहते है हमारा हितचिंतन ही कर रहे है क्यूँकि तारीफ़ व्यर्थ ही अहंकार बढ़ाती हैं। ईश्वर से सदैव प्रार्थना है कि उनकाे आलाेचना की शक्ति प्रदान करते रहे ताकि हम निर्बाध कर्तव्य पथ पर चलते रहें। नाेट-इसका किसी व्यक्ति घटना से सम्बंध नहीं हैं हाे भी नहीं सकता क्यूंकि वेअपनी अपनी प्रकृति व गुणाें के हिसाब से ही चलते है इतने विशाल संसार में व्यक्ति रूप में ताे महापुरुष ही चर्चा के लायक है बाकि की चर्चा समय व ऊर्जा काे नष्ट करना ही है।

2 comments

कविता रावत said...

बहुत ही अच्छी सीख भरी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद !

I'M Hardayal Singh said...

Thanks #Kavita Ji

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